Hot Posts

6/recent/ticker-posts

EVM कितनी सुरक्षित है, क्या हो सकती है हैक? अमेरिका समेत कई देशों में बैन

EVM कितनी सुरक्षित है, क्या हो सकती है हैक? अमेरिका समेत कई देशों में बैन

 Electronic Voting Machine

911 million registered voters  India के अंदर है। इनसे जब ballot paper के through vote डलवाए जाते हैं, तो करोड़ों ballots papers की जरूरत पड़ती है, लाखों पेड़ काटते है और हजारों लोग इन वोटों को count करने मे लगते हैं। India जहाँ पर हर थोड़े दिन में कहीं न कहीं चुनाव होते हैं तो ये process बहुत ही complicated हो जाता है, तो इस चीज़ को solve करने के लिए EVM मशीन को लाया गया। लेकिन इसको यूज़ करने के टाइम पे भी आवाज उठने लगी अभी भी इसमें shortcomings है complete नहीं है तो 2014 के national election में EVM के साथ VVPAT को भी ऐड कर दिया गया है। 


 

VVPaT क्या होता है?

 जब आप VVPaT नहीं यूज़ करते थे । उससे पहले आप बटन दबाते थे light जलती और आप विश्वास करके चले जाते थे की आपने किसको वोट दिया उसको वोट पड़ गया होगा। लेकिन VVPAT को ऐड करने से यह हुआ कि से मशीन के बगल में VVPAT भी रखा जाता है। जब आप बटन दबाते हैं तो VVPAT में आपको एक पर्ची दिखती है जिसमें जिसकों आपने वोट दिया है, उसका नाम mention होता है आप उस पर्ची को लेकर नहीं जा सकते बस वो आपको दिखाने के लिए होती है की  जो बटन आपने दबाया उसी को वोट मिला है और फिर वो पर्ची उसी बॉक्स के अंदर चली जाती है VVPAT से आपको ट्रांसपरेंसी तो मीलती है साथ ही में double Verification भी हो जाता है कि आप दोनों मशीन से वोट count कर सकते हैं और ये चेक कर सकते हैं किसे वोट डाले हैं तो vvpAt के ऐड होने से टोटल तीन मशीन हो गयी।।


 

 1.Ballot unit :- ये वो यूनिट है जिसमे आप बटन दबा के अपने  favourite candidate को select करते हो।

 

2. VVPAT:- जिसमें आप verify करते हो  अपने वोट को और

3.CONTROL यूनिट :- ये यूनिट वहाँ के officer के पास होती है इसके अंदर पूरी मशीन की programming और deta रहता है जब कोई वोट देने आता है तो ऑफिसर उधर से इस कंट्रोल यूनिट का बटन दबाता है तब आपकी मशीन में green light जलती है और आप वोट डाल पाते हो इसका यह भी फायदा है कि वोटर मौका देखकर कई बार बटन दबाकर अपनी फेवरेट पार्टी को 10-12 बार वोट ना कर दे। ये तीनों मशीन आपस में connect रहती है। इसके अलावा इसमें और कुछ connect नहीं कर सकते हैं इसको standalone independent मशीन भी कहते हैं, क्योंकि इसमें ना कोई इंटरनेट ना कोई wi fi और ना ही कोई frequency reciver होता है ताकि कोई दूर से इसमें छेड़छाड़ न कर सके

             

इस मशीन को पूरी तरीके से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने बनाया। ये पूरी तरीके से indian developed products है । इसमें self diagnosis system और temper deduction प्रोग्राम है मतलब की किसी भी स्टेज पे कोई छेड़ता है ये जबरदस्ती करता है तो पकड़ में आ जाएगा।

पूरे इलेक्शन में प्रोसेसर फॉलो होता है :- . EVM मशीन का कंट्रोल भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के पास रहता है जैसे इलेक्शन की डेट आती हैं भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड इसका distribution all over इंडिया में करता है, जहाँ जहाँ चुनाव होने हैं उसके districts headquarters के strong room में मशीन भेजी जाती है ये strong room बहुत ही  secure room होता  live camera और  Presence of   special security force .! उसका जो  Distribution होता है वो  evm  Randomization के  through होता है। इसका मतलब की ये जो मशीन है इसको Serial number  allowt कर दिया जाता है और कौन सी मशीन किस बूथ में जाएगी ये किसी को नहीं पता होता कंप्यूटर Randomly serial number select करता है और डिसाइड करता है कौन सी मशीन किस जगह पे जाएगी

जब इस मशीन कोStrongroom में रखा जाता है उस Particular time पे Political parties के  representative, जैसे की बीजेपी कांग्रेस जेडीयू हर पार्टी अपना भेजती है इलेक्शन कमीशन के ऑफिस  सबकी मौजूदगी में इस मशीन को रखते हैं एक बार इस स्ट्रांग रूम में मशीन रख दी जाती है और लॉक कर दी जाती है उसके बाद कोई इसको खोल नहीं सकता पॉलिटिकल पार्टीज के representative समेत सब का रहना जरूरी होता है इस पूरे प्रोसेसर में स्ट्रॉन्ग रूम मेंContinuously live recording होती है और कोई भी पॉलिटिकल पार्टी आके checkक कर सकती है उस recording को

अब इसके बाद Wait  होता है elections date का जैसे Election dateपास आती है इसकोDistrict के  strongroom से निकाल के अलग अलग Constituency के स्ट्रॉन्ग रूम में पहुंचाया जाता है जहाँ वोटिंग होनी होती है और जब यह मशीन वहाँ पहुंचती है तो Same process जो इससे पहले वाले स्ट्रॉन्ग रूम में फॉलो हुआ था वही   Same process follow होता है, जैसे दिल्ली में सात  constituency है पहले दिल्ली के स्ट्रॉन्ग रूम में आएगा उसके बाद इन सात  constituency के स्ट्रॉन्ग रूम में आएगा अब यहाँ से इसको polling station पर पहुंचना होता है ,polling stationयानी की जहाँ पे आप जाके वोट देते हो Same level की  security के साथ इसको  polling stationतक पहुंचाया जाता है , इन मशीनों में एक यूनिक आइडी होती है और वो यूनिक आइडी पे पर्टिकुलर पोलिंग asinge होती है

जब यह मशीन वहाँ पहुंचती है तब सारे एग्जिक्यूटिव और पॉलिटिकल पार्टीज मिल के उसको मिलते  है। पॉलिटिकल पार्टीज और एग्जीक्यूटिव  नोट करवाया जाता है अगर एक भी mismatch निकलता है तो process ही रोक दिया जाता है।

अच्छा कुछ irresponsible लोग जो eligible होने के बाद भी उन्होंने पोलिंग स्टेशन का मुँह तक नहीं देखा होता तो उनके लिए मैं बता दूँ की जो पॉलिटिकल पार्टी के representatives होते हैं ये बहुत ही important role play  करते हैं जब आप वोटिंग देने जाते हैं तो ये बाहर ही बैठे होते है कुछ स्टैंड या बैच लगाकर इनको आप अपनी वोटिंग की पर्ची देते हो और ये आपका नाम लिस्ट में देखते हैं और tick लगाके आपको बता देता कि आपको किस नंबर के बूथ पे जाना है।

        अगर कोई आपके नाम पे वोट देके आएगा तो वहाँ आपके नाम के आगे पहले से ही टिक लगा होगा, तो इन सब cases में भी आप इन की help ले सकते हो और इसके साथ साथ ये अपनी अपनी पार्टी की वोटिंग में कोई नुकसान ना हो इसका भी पूरा ध्यान रखते हैं।

        जब मशीन का set up हो जाता है तो

वोटिंग स्टार्ट होने से पहले इसका टेस्ट होता है जीतने भी पॉलिटिकल पार्टी के रिप्रजेंटेटिव होते हैं उनको बुलाके हर कैंडिडेट के नाम के सामने वोट डलवाए जाते है और VVPAT से validate किया जाता है अगर एक भी एंट्री गलत होती है तो प्रोसेसर को वहीं रोक दिया जाता है जब सारी पार्टीज के लोग और इलेक्शन एग्जिक्यूटिव सहमति बनाकर approved करते हैं तब सब के sign होते हैं और उसके बाद वोटिंग स्टार्ट होती है।

           जो लोग इसका opposed करते हैं उनका यह कहना है कि आप लोग टेस्ट तो 1 से 2 हजार का करते हो लेकिन मशीन में ऐसी प्रोग्रामिंग की गई है कि 1,00,000 तक तो कुछ नहीं होगा, जब 1,00,000 वोट हो जाएंगे उसके बाद एक ही पार्टी को सारे वोट चले जाएंगे ।

          ऐसा करने के लिए पहली चीज़ तो ये है की जो पार्टी ऐसा कर रही है वो इस प्रोसेसेस के बीच में ही लाइव कैमरा सिक्युरिटी स्ट्रॉन्ग रूम पर सिक्युरिटी सिस्टम सब को क्रैक कर के मशीन चुरा ले और प्रोग्रामिंग चेंज करके वापस रख दें।

लेकिन उसमें भी कितनी मशीन चुराओगे आप उसके बाद भी कैसे पता चलेगा कि इस मशीन को अपने क्रैक किया है वो आपकी ही constituency में जाएगी ठीक है। ऐसा तभी हो सकता है जब जिसने मशीन बनाई है उसने बना के टाइम में सारी प्रोग्राम सेट कर दी हो। लेकिन उस केस में भी रैंडम मशीन पिक करके लाख से ऊपर वोट करके चेक कर लिया गया है रैन्डम मशीनों पे,।

         दूसरी चीज़ जिसने मशीन बनाई है उसको पता होना चाहिए कि जीस पार्टी के नाम पर उसको सारे वो ट्रांसफर कर रहे उस पार्टी का अलॉटेड मशीन सीरियल नंबर क्या है वो पता लगाना बहुत मुश्किल है क्योंकि वो सबसे बाद में जेनरेट होता है। इसमें एक चीज़ और बोली जाती है की यहाँ से आप एक बार बटन दबाओगे तो उधर से दो बार पार्टी को वोट चला जायेगा देखिये अगर बैलेट यूनिट है उसमें से आप अगर एक बार बटन दबाओगे और VVPAT में दो बार वोट आएगा तो दोनों की काउंटिंग मिसमैच हो गई और वोटिंग वही रद्द हो जाएगी। एक चीज़ में ये भी कही जाती है की जब सारी वोटिंग हो जाती है उसके बाद वोट बढ़ाए जाते हैं तो जब वोटिंग कंप्लीट हो जाती है तब पोलिंग बूथ का जो इंचार्ज होता है वो सभी पॉलिटिकल पार्टीज के लोगों के बीच में इकट्ठा होकर मशीन को सील करता है और सारे रिप्रजेंटेटिव उसको चेक कर देगी सही से सील हुई है की नहीं दूसरी चीज़ सारे पॉलिटिकल मेंबर नोट करते हैं कि किस मशीन पे कितने वोट हुए हैं मान लीजिये की एक मशीन में 1150 वोट डाले हैं तो वहाँ पे नोट होगा कि इस आइडी की मशीन में टोटल 1150 वोट डाले गए हैं ये वेरीफाई करने के बाद सारे member sign करते हैं और जीतने भी कैंडिडेट खड़े होते हैं उनके पास ये लिस्ट भेज दी जाती है। जो इस बूथ का प्रिसाइडिंग ऑफिसर होता है जब वो उस मशीन के स्टार्ट बटन को दबाता है तो वोटिंग शुरू होती है और वो ऑफिसर उस टाइम को नोट कर लेता है सेम जब वोटिंग कंप्लीट हो जाती है उसके बाद close बटन दबाया जाता है और उस टाइम को नोट किया जाता है ताकि इस टाइम के बाद कोई अगर इससे छेड़खानी की कोशीश करें तो टाइम से पता चल जाए और जो सब लोग वहाँ पर मौजूद होते हैं जब वो सब ok बोल देते तो मशीन सील होती है। इन सबके बीच में उसके बाद एक यूनिक पर्ची होती है जो एक पॉलिटिकल पार्टी के रिलेटिव को दी जाती है दूसरी ऑफिसर रखता है अपने पास आप यह मशीन तभी खुलेंगे जब दोनों पार्टियों के कोड होंगे एक साथ जैसे पहले बूथ कैप्चरिंग होती थी इसमें उसकी गुंजाइश ही नहीं है कोई इसको लूट ही नहीं सकता क्योंकि उसके लिए वो useless है। उसके बाद पूरी सिक्युरिटी के साथ इसको स्ट्रॉन्ग रूम में फिर से वापस लाया जाता है same उसी प्रोसेसर जैसे इसको लाया गया था  और सबकी मौजूदगी में इसको लॉक कर दिया जाता है।

24/7 इसका लाइव कैमरा चलते हैं उसकी फुटेज एलईडी टीवी में चलती है जहाँ पे सारी पॉलिटिकल पार्टी के reprenstative इसको मॉनिटर करते हैं।

 जीस दिन काउंटिंग होनी होती है उस दिन सारी पॉलिटिकल पार्टीज और एग्जीक्यूटिव के सामने स्ट्रांग रूम का लॉक खोला जाता है और हर एक मशीन की सील चेक होती है अगर एक भी मशीन की सील खराब होती है तो प्रोसेसर वहीं पर रोक दिया जाता है जब सारे मौजूदा लोग मशीन खोलने के लिए सहमति जाता देते हैं तब मशीन खोली जाती है और मशीन खोलने के बाद उसको मशीन आईडी के टोटल नम्बर ऑफ वोट मैच किए जाते हैं जो लिस्ट दी गई होती है उससे और पार्टियों के बोलने के बाद काउंटिंग स्टार्ट होती है प्रिसाइडिंग ऑफिसर मशीन में रिज़ल्ट का बटन दबाकर रिज़ल्ट दिखाता है और जो रिज़ल्ट आता है उसको रैन्डम VVPET एक मशीन से वेरिफाई किया जाता है मान लीजिए ईवीएम में दिखा रहा है कि बीजेपी को 100 वोट मिले और कांग्रेस को 90 वोट मिले तो vvpAT मशीन में भी उतने ही नंबर दिखाना चाहिए और ये सब रैंडमली चेक होता है जैसे जैसे कैलकुलेशन होती रहती है मीडिया वाले बताने लगते है की ये इतने वोटों से आगे चल रहे हैं या फिर पीछे चल रहे हैं और लास्ट में रिज़ल्ट अनाउंस होता है।

इसमें होता ये है कि जो पार्टी हार जाती हार जाती है वो हल्ला करने लगती है की मशीन हैक हो गई है हार जाती है वो हल्ला करने लगती है की मशीन हैक हो गई है और  तो वहीsame पार्टी जीस जगह से जीती हुई होती है वहाँ पे चुप रहती है।

आज तक एक भी पार्टी ऐसी नहीं है जिसने ईवीएम को कभी ना कभी क्रिटिसाइज ना किया हो और आज तक एक भी पार्टी ऐसी नहीं है जिसने जीतने के बाद ईवीएम को एक शब्द भी बुरा बोला हो देखिये ईवीएम मशीन को लेकर लाखों लोगों ने बोला है की ये हैक हो गई है आये दिन आपने statement डिबेट और वीडियो देखी होंगी,

लेकिन मैं उस केस को डिसकस करूँगा जो सबसे ज्यादा डिसकस हुआ इस कंट्री में जब एक पार्टी के मेंबर ने दिल्ली असेंबली में एक मशीन लगाई और पूरे देश के सामने Demonstrationकिया कि ईवीएम मशीन इस तरीके से हैक हो सकती है देखिए वो जो  demonstration दिखाया गया था वो  originally में नहीं दिखाया गया था उसकी कॉपी पे दिखाया गया था अब अगर मैं आपसे कहूँगी  HDFC और  ICICI की जो इंटरनेट बैंकिंग है वो हैक हो सकती है वो खराब है और  अगले दिन मैं अपनी बनाई हुई वेबसाइट को हैक करके दिखाओ तो उससे कुछ साबित नहीं होगा

HDFC or ICICI इंटरनेट बैंकिंग अगर बेकार है अगर मुझे साबित करना है तो मैं एचडीएफसी की इंटरनेट बैंकिंग को हैक करके दे जाऊंगा तब लोगों में विश्वास आएगा ठीक है क्योंकि इतने बड़े लेवल पे हुई थी और पूरे देश ने देखा था।

 

              इलेक्शन कमिशन ने 3 जून 2017 को हर एक पॉलिटिकल पार्टी को चैलेंज किया कि जो लोग ये कह रहे है हैक हो सकती है वो दुनिया का कोई भी एक्स्पर्ट बुलाकर लाए और इस मशीन को हैक करके दिखाया कोई भी पार्टी नहीं गयी अब पार्टियां गई क्यों नहीं इसके पीछे भी रीज़न था क्योंकि अगर कोई पार्टी जाती और हैक नहीं कर पाती तो उसकी बहुत बदनामी होती है उसकी छवि खराब होती है उसका कई सालों तक मजाक उड़ता और वोटों का भी नुकसान होता कुछ लोग यह भी तर्क दे देंगे बाहर की कन्ट्रीज अब इसको यूज़ नहीं कर रही है इसको रिजेक्ट कर रहे हैं तो हम लोग क्यों कर रहे हैं लेकिन 31 कंट्री ऐसी हैं जिन्होंने ईवीएम का यूज़ किया है, हालांकि वहाँ का प्रोसेसर इंडिया से बिल्कुल अलग है लेकिन उसमें से भी चार कन्ट्रीज ऐसी है जो उसको यूज़ करती है 11 partially यूज़ करती हैं और जिन कन्ट्रीज में इन को बैन किया है उनके कोर्ट के ऑर्डर अगर आप पढोगे तो उन्होंने कहा है कि लोगों को प्रोग्रामिंग लैंग्वेज नहीं आती ऐसा सिस्टम होना चाहिए कि लोगों को पता हो कि उनका वोट जब उन्होंने दिया है तो आगे कहा बढ़ा है और किस तरीके से बढ़ा है।.  

             देखिये सुप्रीम कोर्ट से ऊपर कुछ भी नहीं है इस देश में कई पॉलिटिकल पार्टीज ने सुप्रीम कोर्ट में PIL डाली इसके खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट ने भी इसको रिजेक्ट कर दिया इन्फैक्ट तारीफ की। ईवीएम की amazon पर  चीफ और सर्किट available है कोई भी उनको उठा के prototype बनाता है और वीडियो डाल देता कि देखो हैक हो गई है लेकिन जितनी conspiracy theory होती है वो बहुत जल्दी लोगों में attract  करती है लेकिन बिना facts के यकीन करना बहुत ही नुकसानदेह होता है.


    अभी फिर से इलेक्शन के रिज़ल्ट आ रहे हैं और फिर से वही सब शुरू हो जाएगा हारने वाले आप को समझाने की कोशीश करेंगे कि ईवीएम की वजह से हारे हैं लेकिन आपको तब तक अपने मन में डाउट नहीं डालना है जब तक कोई लॉजिक या प्रूफ ना दे।

जो भी बोल रहा है कि ईवीएम हैक हो सकता है उसको आपको यही बोलना है की इलेक्शन कमिशन में चलो वहाँ पे जाके इसको है करो सबके सामने है करो और पूरे देश के हीरो बन जाओ अगर कोई कह रहा है कि ईवीएम हैक हो सकती है या नहीं हो सकती है तो दोनों ही case में आप सवाल करें और सच ढूंढने की कोशीश करें किसी भी चीज़ को मान लेने से पहले और ये सवाल सिर्फ ईवीएम तक ही सीमित नहीं रहा है बल्कि लाइफ के हर ऐस्पेक्ट में question करना जरूरी है कोई भी चीज़ हम कर रहे हैं तो क्यों कर रहे हैं उसका perpose क्या है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ